कमल जिसके साजत, वो वसुधा वाग्देवी, कमल जिसके साजत, वो वसुधा वाग्देवी,
इसके हर ज़र्रे में चुनवाया है मैंने, तुम्हारी स्मृतियों के ज्योति-पुंज...! इसके हर ज़र्रे में चुनवाया है मैंने, तुम्हारी स्मृतियों के ज्योति-पुंज...!
विस्मृत कर दें कटुक पलों को, सदा प्रफुल्लित रखना है मन। विस्मृत कर दें कटुक पलों को, सदा प्रफुल्लित रखना है मन।
जैसा चाहे वैसे ढालती घर आंगन परिवार अपना। जैसा चाहे वैसे ढालती घर आंगन परिवार अपना।
ये तन और मन तेरा प्यासा नित प्रीत फुहार धार माँगे। ये तन और मन तेरा प्यासा नित प्रीत फुहार धार माँगे।
इस जड़ को आओ मिलकर मिटाए आओ शिक्षा की ज्योति जलाए। इस जड़ को आओ मिलकर मिटाए आओ शिक्षा की ज्योति जलाए।